
Navayug School - yaadein


वैदिक प्रार्थना (ऋग-वेद से)
ॐ
सं गच्छध्वं, सं वदध्वं, सं वो मनांसि जानताम्, - 2
देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते |
समानी वः आकूतिः, समाना हृदयानि वः,
समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ||
ॐ
त्वम् एकम् शरेण्यम्, त्वम् एकम् वरेण्यम्,
त्वम् एकम् जगत्पालकम्, स्वप्रकाशम्,
त्वम् एकम् जगत्कर्त्तृ , पर्त्तृ , प्रहर्त्तृ ,
त्वम् एकम् परम् निश्चलम्, निर्विकल्पम्
सर्वे सुखिन: सन्तु, सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाक्भवेत्
ॐ शांति: शांति: शांति: ॐ
लब पे आती है दुआ
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - 2
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी
लब पे आती है दुआ
दूर दुनियां का मेरे दम से अँधेरा हो जाये - 2
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये - 2
लब पे आती है दुआ
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना - 2
दर्दमंदों से, ज़ईफों से मुहब्बत करना - 2
लब पे आती है दुआ
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको - 2
नेक जो राह हो उस रेह पे चलाना मुझको - 2
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी,
लब पे आती है दुआ
हे प्रभु पूरण नाथ हमारे (राग आसावरी)
हे प्रभु पूरण नाथ हमारे, - 2
कौन कौन गुण कहें तुम्हारे, - 2
दया तेरी हरि अपरम्पारा, - 2
तू ही प्रभु है दया भंडारा - 2
हे प्रभु पूरण नाथ हमारे - 2
हे अन्न दाता, विश्व विधाता (राग – भैरवी)
(Verse composed by तनवीर, 1979 bacth)
हे अन्न दाता, विश्व विधाता,
भोजन पहले तू याद आता,
जब हम भोजन करने आयें,
अपने हृदय में तुझको पाएं,
जैसा भोजन हम सब खाएं,
वैसा भोजन सब ही पाएं,
नहीं कोई भूखा रह जाऐ |
हे अन्न दाता
सरस्वती वंदना (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)
ॐ
या कुन्देन्दु तुषारहारधवला या शुभ्र वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेत पद्मासना ।
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभि: र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
नमस्तुभ्यं – नमस्तुभ्यं – नमस्तुभ्यं – नमस्तुभ्यं
वर दे, वर दे, वर दे, वीणा-वादिनी, वर दे - 2
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मन्त्र नव, (F)
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मन्त्र नव, (M)
भारत में भर दे – 2, वीणा-वादिनी, वर दे
वर दे, वर दे, वर दे, वीणा-वादिनी, वर दे
काट अंध उर के बंधन स्तर, - 2 (M)
बहा जननी ज्योतिर्मय निर्झर, - 2 (F)
कलुष, भेद, तम हर, प्रकाश भर, - 2
जगमग जग कर दे, वीणा-वादिनी, वर दे
वर दे, वर दे, वर दे, वीणा-वादिनी, वर दे - 2
नव गति, नव लय, ताल, छंद नव, - 2 (M)
नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव, - 2 (F)
नव नभ के नव विहग-वृन्द को, - 2
नव पर नव स्वर दे, वीणा-वादिनी, वर दे
वर दे, वर दे, वर दे, वीणा-वादिनी, वर दे -2
श्रीराम स्तुति
श्री राम चन्द्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणं, - 2
नव कंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणं, - 2 श्री राम, श्री राम
कंदर्प अगणित, अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरम् - 2
पट पीट मानहु, तड़ित रूचि, शुची नौमि जनक सुतावरम् - 2 श्री राम, श्री राम
सिर मुकुट, कुंडल, तिलक चारू, उदार अंग विभूषणम् - 2
आजानु-भुज, शर-चाप धर, संग्रामजित खर-दूषणम् - 2 श्री राम, श्री राम
भज दीन, बन्धु, दिनेश, दानव, दैत्य वंश निकन्दनम् - 2
रघु नन्द आनंद, कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम् - 2 श्री राम, श्री राम
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम् - 2
मम हृदयकुंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम् - 2 श्री राम, श्री राम
श्री राम चन्द्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणं,
नव कंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणं. – श्री राम, श्री राम, श्री राम
हे जग- दाता विश्व-विधाता, हे सुख-शान्ति-निकेतन हे !
हे जग -दाता विश्व-विधाता, हे सुख-शान्ति-निकेतन हे - 2
प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु, दुःख-दारिद्र्य-विनाशन हे - 2
नित्य, अखंड, अनंत, अनादि, पूरण ब्रह्म, सनातन हे - 2
हे जग -दाता विश्व-विधाता, हे सुख-शान्ति-निकेतन हे - 1
जग-आश्रय, जग-पति, जग-वंदन, अनुपम, अलख, निरंजन हे - 2
प्राणसखा, त्रिभुवन-प्रतिपालक, जीवनके अवलंबन हे - 2
हे जग -दाता विश्व-विधाता, हे सुख-शान्ति-निकेतन हे - 1
साधो, मन का मान त्यागो,
साधो, मन का मान त्यागो, - 2
काम, क्रोध, संगत दुर्जन की, - 2 ताते अहनिस भागो,
साधो, मन का मान त्यागो, - 2
सु:ख-दुःख दोनों समकरि जानै, - 2 और मान अपमाना, - 2
हरख-सोग तै रहै अतीता, - 2 तिन जग तत्व पछाना, - 2
साधो, मन का मान त्यागो, - 2
उसतत निंदा दोउ तियागै, - 2 खोजै पद निर्वाणा, - 2
जन नानक इह खेल कठिन है, - 2 कोऊ गुरुमुख जाना - 2
साधो, मन का मान त्यागो,
काम, क्रोध, संगत दुर्जन की, - 2 ताते अहनिस भागो,
साधो, मन का मान त्यागो, - 2
रचा प्रभु तूने
रचा प्रभु तूने
यह ब्रह्माण्ड सारा
प्राणों से प्यारा - 2
तू ही जग से न्यारा
रचा प्रभु तूने
यह ब्रह्माण्ड सारा
तू ही भाई बन्धु
तू ही जगत जननी
सकल जगत में
एक तेरा पसारा
रचा प्रभु तूने
यह ब्रह्माण्ड सारा
Lead, Kindly Light
Lead, Kindly Light,
amidst th'encircling gloom,
Lead Thou me on!
The night is dark,
and I am far from home,
Lead Thou me on!
Keep Thou my feet;
I do not ask to see
The distant scene;
one step enough for me.
देश भक्ति गीत
होंगे कामयाब, होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर एक दिन
हो - हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होंगी शांति चारों ओर एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज
नहीं डर किसी का आज के दिन
हो - हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज के दिन
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन
हो - हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन
हम होंगे कामयाब एक दिन
(- गिरिजा कुमार माथुर)
हिन्द देश के निवासी, सभी जन एक हैं,
हिन्द देश के निवासी, सभी जन एक हैं,
रंग, रूप, वेश, भाषा चाहे अनेक हैं.
बेला, गुलाब, जूही, चंपा, चमेली,
प्यारे-प्यारे फूल गूंथे माला में एक हैं.
कोयल की कूक न्यारी, पपीहे की टेर प्यारी
गा रही तराना बुलबुल, राग मगर एक है.
गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी,
जा के मिल गयी सागर में, हुयी सब एक हैं.
धर्म हैं अनेक जिनका सार वही है,
पंथ हैं निराले, सब की मंजिल तो एक है.
सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा
पर्वत वो सब से ऊंचा हम साया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबां हमारा
गोदी में खेलती हैं इसकी हजारों नदियां
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जिना हमारा
मझहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन हैं हिंदोस्तां हमारा
मीठी सी हवा
मीठी सी हवा है जहाँ, फूलों की सभा है जहाँ,
वही धूल मेरे लिए सोना है,
गंगा और गोदावरी, देश की हैं आसावरी,
इन्हीं के सुरों में मुझे खोना है,
अंजुरी में धूप लिए खड़ा है दिवस का विहान जो
ताक रहा खेत आसमान का, समय का किसान जो
मेरा भी है श्रम वहां, मेरा भी कदम वहां,
चूंकि मुझे और बड़ा होना है,
पूरब हो या पश्चिम हो, उतर हो या दक्षिण हो,
भारत की आरती संजोना है,
मीठी सी हवा है जहाँ, फूलों की सभा है जहाँ,
वही धूल मेरे लिए सोना है,
इस को भी अपनाता चल – नीरज (साँसों के मुसाफिरों के नाम)
इस को भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल,
राही हैं सब एक डगर के, सब पर प्यार लुटाता चल,
बिना प्यार के चले ना कोई, आंधी हो या पानी हो,
नयी उमर की चुनरी हो या, कमली फटी-पुरानी हो,
तपे प्रेम के लिए धरित्री, जले प्रेम के लिए दिया,
कौन हृदय है, नहीं प्यार की जिसने दी क़ुरबानी हो.
तट-तट रास रचाता चल, पनघट-पनघट गाता चल,
प्यासी है हर गागर, दृग का गंगाजल छलकाता चल,
कोई नहीं पराया, सारी धरती एक बसेरा है,
इसका खेमा पश्चिम में तो, उसका पूरब डेरा है,
श्वेत बरन या श्याम बरन हो, सुंदर या कि असुंदर हो,
सभी मछरियाँ एक ताल की, क्या मेरा, क्या तेरा है,
गलियाँ, गाँव गुंजाता चल, पथ-पथ फूल बिछाता चल,
हर दरवाज़ा राम दुआरा, सबको शीश नवाता चल,
रंग बिरंगी दुनिया तो यह रेशम वाली साडी हैँ ।
जनम कि जिसका पल्ला गोटा, मरण की छोर किनारी है ।।
कोई पहने इसे प्यार से, कोई ओढे पछताकर ।
चमक न इसकी घटी, गयी गो, लाखोँ बार उतारी हैँ ।।
इस को भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल,
राही हैं सब एक डगर के, सब पर प्यार लुटाता चल,
खुद जियो, औरों को भी जीने दो, ( प्रदीप)
खुद जियो, औरों को भी जीने दो,
यही तो है ज़िन्दगी का रास्ता,
तुम्हें अमन, का शांति का वास्ता
चमन में फूल खिलते भांति-भांति के,
मगर सभी का होता एक ही चमन,
हों रहने वाले हम किसी भी प्रांत के,
है एक अपनी धरती, एक ही गगन,
खिंचे-खिंचे से दिल हैं फिर किसलिए,
चलो दिलों में ले के एक ही लगन,
खुद जियो, औरों को भी जीने दो,
यही तो है ज़िन्दगी का रास्ता,
तुम्हें अमन, का शांति का वास्ता
दिए दिवाली के जलाओ मिल के सब,
मनाओ गले मिल के आज ईद भी,
मिटा है भगत सिंह अपने देश पे,
तो टीपू भी मिटा है और हमीद भी,
ये देश जिंदा है कि देश सबका है,
न होती वरना जीने की उम्मीद भी,
खुद जियो, औरों को भी जीने दो,
यही तो है ज़िन्दगी का रास्ता,
तुम्हें अमन, का शांति का वास्ता
है लड़ना ही तो मिल के लड़ो भूख से,
जो भूख सारे देश को है खा रही,
मिटाओ जाति-पाति, लड़ो फूट से,
वो फूट जो हमारे घर जला रही
है खेलना ही खून से तो आओ फिर,
कि सीमा देश की तुम्हें बुला रही.
खुद जियो, औरों को भी जीने दो,
यही तो है ज़िन्दगी का रास्ता,
तुम्हें अमन, का शांति का वास्ता
यही है लिखा गीता और कुरान में,
यही हैं वाणी नानक और कबीर की,
इसी लिए तो गाँधी जी ने जान दी,
कि समझे दुनिया बात उस फ़कीर की,
उन्ही की ज़िन्दगी है किसी काम की,
समझते हैं जो दूसरों की पीड भी,
खुद जियो, औरों को भी जीने दो,
यही तो है ज़िन्दगी का रास्ता,
तुम्हें अमन, का शांति का वास्ता
नवयुग की नव संतान हैं हम ( डा. महेंद्र कौशिक)
नवयुग की नव संतान हैं हम,
भारत के लिए वरदान हैं हम,
हम कुछ कर के दिखलायेंगे,
एक भारत नया बनायेंगे.
नहीं चाहते हम मखमल के मोटे गद्दों पर सोना,
नहीं चाहते हम भाषण में, व्यर्थ समय अपना खोना,
जो कहेंगे, कर दिखलायेंगे,
दुःख-दर्द सभी मिट जायेंगे,
धरती को स्वर्ग बनायेंगे,
धरती माँ के अभिमान हैं हम,
बन कर मेघ करेंगे सबको, सुख-सौरभ का दान,
बनकर सूर्य करेंगे अपनी जगती का कल्याण,
जग को उद्यान बनायेंगे,
मुरझाये सुमन खिलाएंगे,
हम मलयानिल बन जायेंगे,
इस अपने वतन की शान हैं हम ,
आंसू पोंछ, हंसी बांटेंगे, उनको जो रोते हैं,
ज्ञान की ज्योति उन्हें देंगे जो अब तक भी सोते हैं,
हम नव प्रकाश बन जायेंगे,
घर-घर में दीप जलाएंगे,
कुटिया को महल बनायेंगे,
आज़ादी के अरमान हैं हम.
गूंजे जय ध्वनि से आसमान,
गूंजे जय ध्वनि से आसमान,
मानव मानव सब हैं समान,
निज कौशलमति इच्छानुकूल,
सब कर्म निरत हों भेद भूल,
बंधुत्व भाव हो विश्व मूल,
हो श्रेय-प्रेय मिल एक गान,
गूंजे जय ध्वनि से आसमान,
मानव मानव सब हैं समान,
जन उन्नति का हो खुला द्वार,
हो पंचशील जीवनाधार,
हो मुक्त कर्म, वाणी, विचार,
सब एक राष्ट्र के उपादान
गूंजे जय ध्वनि से आसमान,
श्रम उद्यम हो गौरव प्रधान,
सब करमों का हो उचित मान,
सब कंठों का हो एक गान,
हो एक विश्व जीवन महान,
गूंजे जय ध्वनि से आसमान,
मानव मानव सब हैं समान,
हिमाचली लोक गीत
हूम्बे हूम्बे
लैई लैणी से ओ गीव
ओ नच्ची लैणा ता धिन्ना ता धिन्ना ता धिन्ना
हूम्बे हूम्बे
जे ना तू जाणे दिलङू लाणा
बांका मेरा दिलड़ु कैंदा भाणा
ओ नच्ची लैणा ता धिन्ना ता धिन्ना ता धिन्ना
हूम्बे हूम्बे
बांका लगा मिन्जो रेशमी बाणा
चल मेरी जिन्दडिये मेले ते जाणा
ओ नच्ची लैणा ता धिन्ना ता धिन्ना ता धिन्ना
हूम्बे हूम्बे
म्हारी छन्न पछेली - हरयाणवी लोक गीत
म्हारी छन्न पछेली
हाथां मैं ताम्बा री गुट्ठी रै
अरे धिंग ताणे सै खोस लई
म्हारी खोल के मुट्ठी रै
माथे ऊपर चार बोरला नैनण मा स्याही
सारे सहर मैं रुक्का मच ग्या
अजब बहू आई
थम तो चाल्ले चाकरी
मैं एकली रह गयी जी
थारे बिना म्हारा जिया ना लाग्गे
सूं भाईयाँ कै जी
ना चाहिए थारी चाकरी
मैं बैल पुआ दूंगी
जो धन माया चाहिए
पीहर से ल्या दियूंगी
बिहारी लोक गीत
हे आम के पतेइ लंबे – लंबे
बड़ के पतेई चाकर
अइसन बर दइला गौरा
मोछ दाढ़ी पाकल
हाय रे हाय
ईगा रंग रीता बाजा खरखा लागी
परता तोङन हाहस कालर की बारा लागी
हाय रे हाय
इंगा रंग रीता बाजा खरखा लागी
परता तोडन हाहस कालर की बारा लागी
परता तोडन हाहस कालर की
हाहस भैया की
हाहस बाबा की
हाहस मामा की बारा लागी
ईगा रंग रीता बाजा खरखा लागी
हाय रे हाय
कुमाउनी लोक गीत
त्वीले धारो बोल लाली रुमझुमा
हाय मोतिमा रुमझुमा
ल्याय दे मौसी ल्याय दे कलमा
सुरसराइ ली कैंचू
बुढया सैनिक, कमची नजर
चश्मा ल्याय दे कैंचू
चश्मा ल्याय दे कैंचू केरी रुमझुमा
हाय मोतिमा रुमझुमा
चाँद जैसी रे को लाग्यो रे बदरिया पानी
मैं बुलूनी बुल न शकनी तेरी हसनिया बानी
तेरी हसनिया बानी केरी रुमझुमा
हाय मोतिमा रुमझुमा
अल्मोड़ा का लाल बजारो
लाल माटी की सीढ़ी
अकूं खूगी बाल सिगोड़ी
मैं हूँ लूणी चूड़ी
चूड़ी की झनकार केरी रुमझुमा
हाय मोतिमा रुमझुमा
अब धरती है उसकी
अब धरती है उसकी, जो धरती में बोये पसीना,
अब धरती है उसकी, जो धरती में बोये पसीना,
बहुत जिए ग़ैरों के लिए, अब देश के लिए है जीना,
ओ भैया रे, ओ साथी रे,
किसनवा गाता है, गगन मुस्काता है,
किसनवा गाता है, गगन मुस्काता है,
अब धरती है उसकी......
श्रम का है भगवान जाग उठा, खेतों और खलिहानों में,
नया जोश है, नया रंग है, अब बेख़ौफ़ किसानों में,
हमने लाखों फूल खिलाये, मेहनत से पाषणों में,
नयी जागृति, नयी ज़िन्दगी लाये हैं वीरानों में,
हम धरती के लाल चल रहे आज तान कर सीना,
बहुत जिए ग़ैरों के लिए, अब देश के लिए है जीना
ओ भैया रे, ओ साथी रे .......
गाती सावनी हंसिया, खुरपी, कजरी गा रही कोदाली,
ताल मिला कर चले फावड़ा, हल की घंटी दे ताली,
श्रम शक्ति का राग छिड़े तो नाचे खेतों में बाली,
दिन दूनी यूँ बढती जाये अपने देश में खुशहाली,
चौदह रत्न चरण रज चूमें, जहाँ भी गिरे पसीना,
बहुत जिए ग़ैरों के लिए, अब देश के लिए है जीना
ओ भैया रे, ओ साथी रे .......
Lyrics for the rest of the school songs will be uploaded soon.