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दर साहब की अंग्रेजी और उर्दू में गजब की रवानगी थी

 

  वह समय था विद्यालय के निर्माण का,पैरों पर खड़ा होने का । उस समय विद्यालय के विरुद्ध अनेक अंतःधारायें चल रही थीं – विद्यालय के अन्दर भी,बाहर भी, सचिवालय में भी । प्रधानाध्यापक श्री नेपियर को हटाने में वह सफल हो चुकी थी । कुछ आक्षेप , कुछ संशय किए जा रहे थे ।ऐसे समय एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जो अपनी वाग्मिता से, अपनी प्रदर्श्य कार्यप्रणाली से, अपने सरकारी और गैरसरकारी स्टार पर लुब्धक जनसंपर्क से,अपनी कर्मठता ,ईमानदारी , सहृदयता , समर्पण से इन धाराओं को रोक सके । नींव बन ही चुकी थी , भवन की दीवारें और छत का काम समाप्तप्राय था ।अब तो पलस्तर कर कंगूरे को ढाल देना था , बैठा देना था । राज्य के, विद्यालय के और हम सभी के सौभाग्य से ऐसे व्यक्ति-रूप में आये श्री जीवन नाथ दर । गोरा रंग, हलके श्वेत बाल ,तेजचाल,अंग्रेजी और उर्दू में गजब की रवानगी , सूत्रों को पकड़कर उनके विस्तार और व्याख्या की अद्भुत क्षमता,छात्र,शिक्षक ,कर्मचारी , सेवक तथा जिस किसी के भी संपर्क में आए उसे प्रभावित करने, अपना बनाने , उसका बनने का कौशल ,धैर्य , सहनशीलता ,गुस्से को पी जाने का संयम आदि,आदि ....... न जाने कितने गुणों से संयुक्त था उनका व्यक्तित्व । सचमुच वरदान रूप में हमें प्राप्त हुए थे ।ईश्वर ने जोड़ी भी क्या बनायी थी । उनकी पत्नी श्रीमती कमला दर उन्हीं के लिए ,उन्हीं की पूरक सी बनायी गयी थीं । बच्चों, शिक्षकों , महिलाओं आदि सभी को उनका सान्निघ्य ,स्नेह और ममता प्राप्त थी । सचमुच विद्यालय के आकर्षक कंगूरे के रूप में यह दम्पति चमक रहे हैं ।उन्हें हम सभी सादर, सश्रद्धा, सभक्ति स्मरण करते हैं , नमन करते हैं ।

                                                                                                                  -- डॉ मिथिलेश कांति की कलम से

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